में हु थोड़ा उनमे थोड़े मुझमें
दुनिया छोड़ जाये पर वो न दूर जाये मुझसे ,
कहे दू उनसे वो क्या है मेरा लिए ,
या बन जाऊ अंजान हमेशा के लिए उनसे,
संग चलू उनके हाथों में हाथ कही,
या चल दू मुसाफिर बन ,कि रहे न जाऊ खुदमे ,
लिखू कहानी बीतें पल की संग कही ,
या जी लू ज़िन्दगी थोड़ा उनमे थोड़ा मुझमे ,
कहा हु में अब समझ नहीं आता याद में उनके ,
बस लेता हु साँसे ,धड़कन में थोड़ा उनके थोड़ा मुझमे।
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